शिकार और शिकारी
शिकार खुद शिकारी की सवारी कर रहा है, मौत से बेखबर, मौज-एय्यासी कर रहा है। जानता नही अगला कदम, शिकारी ...
शिकार खुद शिकारी की सवारी कर रहा है, मौत से बेखबर, मौज-एय्यासी कर रहा है। जानता नही अगला कदम, शिकारी ...
समाज में व्यवस्था रहे, कुछ नियम बनाये है, स्त्री के दायित्व हैं, पुरूषों को नियम बताये हैं। हैं समाज में ...
इस हाल में भी वो ख़ुश रहना जानते हैं, टूटी झोपड़ी के लिए अहसान मानते हैं। ख़ुश हैं कि शाम ...
निज स्वास्थ्य हित, योग को अपनाइए, मानव कल्याण हो, योग को बतलाइए। सर्वे सन्तु निरामया, संस्कृति का आधार, स्वस्थ तन ...
रिश्तों की डोर यदि कच्ची होगी, तन्हाई में याद कहाँ सच्ची होगी? पड़े सामने दिया उलाहना मीठी बातें, ऐसे लोगों ...
हम धनवान हों, सबको अच्छा लगता है, सीमाएँ क्या होंगी, कोई तो बतलाओ? धन से कितनी संतुष्टि, ख़ुशियाँ मिलती, धन ...
कर्मो का लेखा यहाँ, करता अपना काम, वह तो सबको दे रहा, सबकुछ ही सामान। रुखी रोटी खाकर भी, निर्धन ...
जिंदगी कभी बेरुखी नहीं दिखाती, समझने का अंदाज जुदा होता है, रोज जिंदगी मिलती मोहब्बत से, पहचानने का अंदाज जुदा ...
कान्हा ने राग छेड़ा, राधा दीवानी हुयी, अपने ही घर में, रुक्मणी बेगानी हुयी। ऐसा चला जादू, वृषभान की दुलारी ...
कौन कहता है पत्थरों में गीत नहीं होता, कठोरता के बीच मधुर संगीत नहीं होता? होता है बहुत कुछ पत्थर ...
© 2021 Shiksha Vahini