शिवपुराण से……. (347) गतांक से आगे…….रूद्र संहिता, द्वितीय (सती) खण्ड
गतांक से आगे…….उस समय हर्ष से भरे हुए भगवान् वृषभध्वज ने भी वैवाहिक विधि से सुन्दरी दक्षकन्या का पाणिग्रहण किया। ...
गतांक से आगे…….उस समय हर्ष से भरे हुए भगवान् वृषभध्वज ने भी वैवाहिक विधि से सुन्दरी दक्षकन्या का पाणिग्रहण किया। ...
गतांक से आगे……. वहां विनीत चित्त वाले प्रजापति दक्ष समस्त आत्मीय जनोें के साथ भगवान् शिव की आगवानी के लिए ...
गतांक से आगे……. अपने मरीचि आदि मानसपुत्रों को भी बुला लो। विधे! मैं उन सबके साथ दक्ष के निवास स्थान पर ...
गतांक से आगे....... ब्रह्माजी कहते हैं-नारद! तदनन्तर मैं हिमालय के कैलास शिखर पर रहने वाले परमेश्वर महादेव शिव को लाने ...
गतांक से आगे..... मुझ पिता को आया देख दक्ष प्रणाम करके विनीत भाव से खड़े हो गये। उन्होंने मुझ स्वयंभू ...
गतांक से आगे........ जब सती घर पर लौट आयीं, तब दक्ष ने उनके लिए क्या किया? ब्रह्माजी ने कहा- तपस्या ...
ब्रह्मन्! तब से उसने मुझसे यह वर मांगा कि आप मेरे पति हो जाईये। यह सुनकर सर्वथा संतुष्ट हो मैंने ...
सती बोलीं-देवाधिदेव महादेव! प्रभो! जगत्पते! आप मेरे पिता को कहकर वैवाहिक विधि से मेरा पाणिग्रहण करें। ब्रह्माजी कहते हैं-नारद! सती ...
कुशल खिलाडी बन्दर होते, जग में सबसे समझदार, 264 प्रजातियां इनकी, जानवरों में उत्तम किरदार। बन्दर को मानव का पूर्वज, ...
मैं तुम्हारे इस व्रत से बहुत प्रसन्न हूं। इसलिए कोई वर मांगो। तुम्हारे मन को जो अभीष्ट होगा, वही वर ...
© 2021 Shiksha Vahini