डॉ. अवधेश कुमार “अवध”, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। हर राष्ट्र की अपनी एक राष्ट्रभाषा होती है इसलिए भारत जैसे सम्प्रभुता सम्पन्न, विशाल, सबसे बड़े गणतन्त्र राष्ट्र की भी अपनी राष्ट्रभाषा होनी चाहिए। यह प्रश्न तब तक उठना स्वाभाविक और उचित भी है जब तक भारत की अपनी राष्ट्रभाषा न चुन ली जाए। लेकिन आजादी के सात दशकों के बाद भी दुर्भाग्यवश अब तक ऐसा नहीं हो सका। ब्रितानी हुकूमत के समय में हिंदी का पूरे भारत में बोलबाला था। लॉर्ड मैकाले ने ब्रिटेन में हिंदी की व्यापकता और लोकप्रियता को…