डॉ. अवधेश कुमार “अवध”, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
राम हैं जिंदगी राम का नाम लो।
राम हैं बंदगी राम का नाम लो।
राम से ही धरा अग्नि आकाश है।
राम से ही हवा नीर का पाश है।
राम की मुट्ठियों में बँधी सृष्टि है।
राम से वृष्टि एवं अनावृष्टि है।
राम के नाम में लोक कल्याण है।
राम के नाम में जानकी प्राण है।
राम दीनों गरीबों के रखवार हैं।
डूबती नाव के राम पतवार हैं।
राम श्रापित अहल्या समाधान हैं।
राम मुर्छित लखन हेतु हनुमान हैं।
राम सुग्रीव केवट विभीषण सगे।
राम शिव भक्ति में सर्वदा हैं पगे।
राम जूठे फलों संग में भाव हैं।
राम अंधे बधिर मूक के चाव हैं।
राम संगीत साँसें कला साज हैं।
राम भूतो भविष्यो सदा आज हैं।
राम से साधु हैं राम से संत हैं।
दीन-दुखिये सभी राम के कंत हैं।
राम से देवियाँ राम से देव हैं।
राम ही सत्य एवं सुसत्येव हैं।
राम राजीव हैं राम छविधाम हैं।
राम से है अवध औध से राम हैं।
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