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वाटरशेड विकास घटक के अन्तर्गत भूमि उपचारित कर बनाया जा रहा कृषि योग्य

shikshavahini by shikshavahini
January 29, 2021
in राष्ट्रीय
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वाटरशेड विकास घटक के अन्तर्गत भूमि उपचारित कर बनाया जा रहा कृषि योग्य


शि.वा.ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में काफी भूमि ऊसर, बन्जर, ऊँची-नीची, सूखा प्रभावित परती, अनुपजाऊ ऊबड खाबड आदि पड़ी है। ऐसी जमीनों को सही ढंग से उपचारित कर कृषि योग्य बनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-वाटरशेड विकास घटक (आईडब्लूएमपी) का संचालन समान मार्गदर्शी सिद्वान्त के दिशा निर्देशों के क्रम में प्रदेश के 71 जनपदों (जनपद गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, सम्भल एवं शामली को छोड़कर) में संचालित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वर्षा सिंचित क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन, प्राकृतिक संसाधनों के समुचित प्रबन्धन तथा उसका दीर्घ कालिक उपयोग सुनिश्चित करना है। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम के अन्तर्गत अस्थामूलक कार्यकलाप, क्षमता निर्माण, आजीविका संवर्धन, उत्पादन प्रणाली एवं सूक्ष्म उद्यम विकास आदि कार्य सम्पादित किया जाता है। कार्यक्रम के सुगम संचालन हेतु जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में वाटरशेड सेल कम डाटा सेन्टर (डब्लूसीडीसी) तथा ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में जल संग्रहण समितियों (डब्लूसी) का गठन करते हुये कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।


इस कार्यक्रम के अन्तर्गत विविध प्रकार के जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण कराते हुये वर्षा जल संरक्षित कर सूखे की स्थिति को यथा सम्भव कम कर, वर्षा आधारित क्षेत्रों में दलहनी, तिलहनी फसलों के उत्पादन में सतत् वृद्वि का कार्य कराया गया है। कार्यक्रम अन्तर्गत कृषि के साथ-साथ पशु पालन, मत्स्य पालन आदि कार्यो को भी शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त उत्पादित कृषि खाद्यान्नों का मूल्य संवद्र्वन एवं प्रसंस्करण सम्बन्धी कार्य-कलापों में वृद्वि किया गया है। परियोजना क्षेत्र के निर्धन, साधनहीन तथा सम्पत्तिहीन ग्रामीण परिवारों को उनके स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आजीविका विकास कार्यक्रमों को भी लागू करते हुए रोजगार से लगाया गया है।
प्रदेश में ईपीए के अन्तर्गत 16051 कार्य, क्षमता निर्माण के अन्तर्गत 572176 लाभार्थियों के कौशल विकास, जल संग्रहण विकास के अन्तर्गत 7.31 लाख हे0 क्षेत्र उपचारित कर 21219 जल संचय संरचनाओं का निर्माणध्जीर्णोद्वार करते हुये 53978 हे0 क्षेत्रफल में अतिरिक्त सिंचन क्षमता विकसित की गयी है। आजीविका संवद्र्वन के अन्तर्गत 13433 समूहों को 32.69 करोड़ सीडमनी उपलब्ध कराया गया साथ ही उत्पादन प्रणाली एवं लघु उद्यम विकास के अन्तर्गत 16827 हित ग्राहियों को लाभान्वित कराते हुये कार्यक्रम के अन्तर्गत समस्त मदों में योजना के आरम्भ से अब तक कुल रू0 933.29 करोड़ की धनराशि का क्रमिक व्यय किया गया है।


इस कार्यक्रम की नवीन गाइड लाइन भूमि संसाधन विभाग ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शीघ्र ही जारी किया जाना है, जिसके अन्तर्गत आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 से नवीन गाइड लाइन के अनुसार कार्यक्रम प्रारम्भ किया जायेगा। राज्य स्तरीय नोडल एजेन्सी (एस0एल0एन0ए0) द्वारा प्रदेश के 31 जनपदों के वर्षा आधारित क्षेत्रों, अतिदोहित, सूखा ग्रस्त क्षेत्रों से 4.50 लाख हे0 क्षेत्रफल में जल संग्रहण की 85 परियोजनाओं को संचालित किये जाने हेतु प्राथमिक परियोजना प्रतिवेदन (पी0पी0आर0) तैयार करने की कार्यवाही परियोजना की कार्यदायी संस्था ग्रेटर शारदा सहायक समादेश क्षेत्र विकास प्राधिकारी/परियोजना के माध्यम से तैयार कराया जा रहा है।

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