Saturday, May 28, 2022
  • Login
Shiksha Vahini
  • अन्तर्राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • अपराध
  • लाइफ स्टाईल
    • कविता
    • लेख
    • सामाजिक
  • दिल्ली
  • उत्तरप्रदेश
    • आगरा
    • गोरखपुर
    • चन्दौली
    • जौनपुर
    • नोएडा
    • प्रयागराज
    • बागपत
    • मथुरा
    • मिर्जापुर
    • मुजफ्फरनगर
    • मेरठ
  • उत्तराखण्ड़
    • अल्मोडा
    • देहरादून
  • राज्य
    • मध्यप्रदेश
    • राजस्थान
  • धर्म
    • आस्था
  • आर्थिक
  • Epaper
No Result
View All Result
  • अन्तर्राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • अपराध
  • लाइफ स्टाईल
    • कविता
    • लेख
    • सामाजिक
  • दिल्ली
  • उत्तरप्रदेश
    • आगरा
    • गोरखपुर
    • चन्दौली
    • जौनपुर
    • नोएडा
    • प्रयागराज
    • बागपत
    • मथुरा
    • मिर्जापुर
    • मुजफ्फरनगर
    • मेरठ
  • उत्तराखण्ड़
    • अल्मोडा
    • देहरादून
  • राज्य
    • मध्यप्रदेश
    • राजस्थान
  • धर्म
    • आस्था
  • आर्थिक
  • Epaper
No Result
View All Result
Shiksha Vahini
No Result
View All Result

गणतंत्र दिवस पर लहूलुहान होता रहा देश का किसान,  सरकार बरसाती रही डंडे

shikshavahini by shikshavahini
January 27, 2021
in दिल्ली, नई दिल्ली
0
गणतंत्र दिवस पर लहूलुहान होता रहा देश का किसान,  सरकार बरसाती रही डंडे
शि.वा.ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रभारी डॉक्टर अनिल कुमार मीणा ने कहा है कि भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब किसान और सत्ता आमने -सामने है। एक तरफ़ मशीनरी है तो दूसरी तरफ खेत जोतने वाले किसान है। देश के किसान दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर प्रेड से तिरंगे झंडे को सलामी देना चाहते थे, लेकिन सरकार ने मना कर दिया और उन्हें कुछ निर्धारित मार्गो  पर उनको अनुमति  प्रदान की। किसान तीनों काले किसानों क़ानूनों को वापस लेने के लिए पिछले सैकड़ों दिनों से आंदोलन कर रहा है, लेकिन सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक पहल शुरू नहीं होने के कारण आंदोलन बढ़ता चला गया। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ख़रीदारी की गारंटी का क़ानून बनाने की माँग पर देश के किसान एकजुट लामबंद हो गए। देश के कोने-कोने में किसानों ने गणतंत्र दिवस पर किसान परेड का प्रदर्शन किया। लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन में 167 से अधिक किसान शहीद होने के कारण देश के किसानों के प्रति सरकार के कोई संवेदनशीलता के शब्द नहीं आए और ना ही सरकार ने कानून सुधार से संबंधित कोई सकारात्मक रुख अपनाया है। कहने के लिए भारत के लोकतंत्र को सबसे विशाल बताया जाता है, लेकिन सरकार ने पिछले कई वर्षों से किसी भी वर्ग की कोई आवाज नहीं सुनी। रिपब्लिक या गणतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमे देश लोगों का होता है, सरकार लोगों की होती है। अब्राहम लिंकन ने बड़े सरल शब्दों में समझाया है कि –लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन  है।
डॉक्टर अनिल कुमार मीणा ने कहा कि यह कैसा लोकतंत्र है? पिछले लंबे समय से कड़कती ठंड में आंदोलन कर रहे किसान सैकड़ों से अधिक संख्या में शहीद हो गए हैं, लेकिन सरकार ने किसी की कोई बात नहीं सुनी। इससे पहले भी लगातार सरकार द्वारा निजीकरण की तरफ बढ़ते कदम के कारण लाखों कर्मचारी बेरोजगार हो गए, तब भी सरकार ने किसी की नहीं सुनी। जहां एक तरफ मोदी सरकार गणतंत्र  दिवस मना रही थी, वहीं दूसरी तरफ कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान दिल्ली में रैली कर रहे हैं। पुलिस किसानों पर आंसू गैस गोलियां और लाठियां बरसा रही थी। दिल्ली में लाखों की संख्या में प्रवेश किए किसानों ने लाल किले पर तिरंगा झंडा पहनाया और झंडे को सलामी दी, वहीं दूसरी तरफ सरकार के खिलाफ तरह-तरह के पोस्टर किसान लेकर आए जिन पर लिखा हुआ था, “जैसे रावण की जान नाभि में थी, वैसे ही BJP की जान ईवीएम में है’। सरकार की हठधर्मिता के कारण देश के किसान लंबे समय से आंदोलन पर हैं। यदि सरकार इन किसानों की मांग मान लेती तो देश को आज हुए काफी नुकसान से बचाया जा सकता था।
खुदरा व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा- दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में किसानों के आंदोलन से व्यापारियों को लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के काराबार का नुकसान हुआ है। कैट ने कहा है कि प्रस्तावित संयुक्त समिति में व्यापारियों को भी रखा जाए, क्योंकि नए कृषि कानूनों से व्यापारियों के हित भी जुड़े हैं। डॉ अनिल मीणा ने बताया कि मोदी सरकार ने  किसानों का सौदा अंबानी अडानी के दफ्तर में हस्ताक्षर करके कर दिया है। मोदी सरकार लोकतंत्र की तस्वीर पूंजीपतियों में देख रही है, जिसके कारण किसान का दुःख दिखाई नही दे रहाँ है। भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व के हथकंडे अपनाकर तरह तरह के षड्यंत्र अपना कर आंदोलन को तोड़ने की कोशिश की और आंदोलन के दौरान इस कानून के अनेक फायदे बताकर उन्हें लुभाने की कोशिश की, लेकिन किसान सरकार के बहकावे में नहीं आए। किसान अपनी ज़मीन के लिए वहाँ डटा हुआ है, क्यूँकि उसको पता है कि ज़मीन किन लोगों के हाथ में जा रही है। निजीकरण के नाम पर सरकार ने कई सार्वजनिक संस्थाओं को जिस तरह पूंजीपतियों के घर आने गिरवी रख दिया, उसी तरह सरकार कृषि कानून के माध्यम से किसानों की जमीन धीरे-धीरे उद्योगपतियों के घर आने गिरवी रखना चाहती है। सरकार की चालाकी को किसान समझ चुका है और वह मरते दम तक इन काले कानूनों को पास नहीं होने देगा।
Post Views: 134
Previous Post

शिवपुराण से……. (273) गतांक से आगे…….रूद्र संहिता (प्रथम सृष्टिखण्ड़)

Next Post

सत्यप्रकाश रेशू ने ध्वजारोहण कर सभी को 72 वें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी

Next Post
सत्यप्रकाश रेशू ने ध्वजारोहण कर सभी को 72 वें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी

सत्यप्रकाश रेशू ने ध्वजारोहण कर सभी को 72 वें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी

  • अन्तर्राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • अपराध
  • लाइफ स्टाईल
  • दिल्ली
  • उत्तरप्रदेश
  • उत्तराखण्ड़
  • राज्य
  • धर्म
  • आर्थिक
  • Epaper

© 2021 Shiksha Vahini

No Result
View All Result
  • अन्तर्राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • अपराध
  • लाइफ स्टाईल
    • कविता
    • लेख
    • सामाजिक
  • दिल्ली
  • उत्तरप्रदेश
    • आगरा
    • गोरखपुर
    • चन्दौली
    • जौनपुर
    • नोएडा
    • प्रयागराज
    • बागपत
    • मथुरा
    • मिर्जापुर
    • मुजफ्फरनगर
    • मेरठ
  • उत्तराखण्ड़
    • अल्मोडा
    • देहरादून
  • राज्य
    • मध्यप्रदेश
    • राजस्थान
  • धर्म
    • आस्था
  • आर्थिक
  • Epaper

© 2021 Shiksha Vahini

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In