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भारत की आजादी की पहली लड़ाई 1857 में आगरा अवध संयुक्त प्रांत के आजमगढ़ जिले के  महान अमर सपूतों और बलिदानी महावीर शहीदों का योगदान पर गूगल मीट 24 जनवरी को

shikshavahini by shikshavahini
January 23, 2021
in दिल्ली, नई दिल्ली
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भारत की आजादी की पहली लड़ाई 1857 में आगरा अवध संयुक्त प्रांत के आजमगढ़ जिले के  महान अमर सपूतों और बलिदानी महावीर शहीदों का योगदान पर गूगल मीट 24 जनवरी को

डॉ निर्मल पटेल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

भारत के महान अमर सपूतों द्वारा 1857 से 1947 तक  अनगिनत करोड़ों की तादाद मे  फिरंगियों से  लड़ाई लड़ कर आहुतियां दी गयी। अंग्रेजो ने उन महान क्रांति वीरों का बर्बरतापूर्ण दमन चक्र चला कर उनकों परिवार सहित नष्ट किया। ज्यादातर  क्रांतिकारी जीवन पर्यन्त बागी रहे और जंगलों में घास-फूस की रोटियां खाकर हर मोड़ पर अंग्रेजो की मुसीबत बन कर उनको सबक सिखाते रहे। अंग्रेजो ने 1857 -58 मे 4 करोड़ों से अधिक बागी भारतीयों का नरसंहार किया था। ये लेनिन मार्क्स के लेखों मे हैं।  गजेटियर, अमेरिकन टाइम्स, न्यू यॉर्क टाइम्स, वाशिंग्टन पोस्ट भी पुष्टि करते हैं। सरदार पटेल के पिता झेबर भाई पटेल 1857 की आजादी की लड़ाई लड़े और 13 साल इंदौर की जेल मे रहे। गांधी जी के पिता रियायत मे दीवान और पंडित जवाहर लाल नेहरू के दादा ने 1857 मे अंग्रेजो के दिल्ली शहर कोतवाल रहते भारत के साथ गद्दारी थी। सरदार पटेल और उनके बडे भाई विट्ठल भाई पटेल ने  बार-एट ला लंदन दोनों ने गोल्ड मेडल लेकर की और अंग्रेजो की जजशिप और प्रोफेस शिप ठुकरा कर भारत के क्रांतिकारी के केस लड़कर जेलों से छुड़ाने मे जीवन लगा दिया। गांधी जी ने 1922 तक अंग्रेजो के वफादार बन कर काम किए।
भारत की आजादी की लड़ाई में  1857 से  1947 तक सिर्फ सरदार पटेल के परिवार ने अंग्रेजो से समझौता नहीं किया था।पंडित नेहरू ने अपने बाप दादा की गद्दारी छिपाने के लिये  1857 का 100वी वर्ष गांठ 1956-57 में नहीं मनाने दी और 1857 का नाम लेने वालों को लालच देकर अपनी तरफ मिला लिया। न मानने वालों को उपर पहुचा दिया गया। ठीक वही काम इंदिरा गांधी ने किया।  1967 मे  डॉ लोहिया को  मौत के घाट उतारा। 1967 से 1973 के बीच अपने 2 मन्त्रियों को  1857 पर शिक्षा मंत्रालय से रिकॉर्ड छपवाने पर न केवल मंत्रिमण्डल से निकाला, बल्कि 1857 के सारे दस्तावेज क़िताबों सहित नष्ट करवाए और लेखकों और इतिहासकारों को  मुह मांगी कीमतें पद देकर अपने पक्ष में इतिहास लिखवाया। किसी ने गदर, किसी ने विद्रोह, किसी ने क्रांति, तो किसी ने म्युटिनी क़रार देकर झूठ-मूठ का इतिहास लिखा, जो आज तक पढ़ाया जाता है। हमारे 1990 मे सुप्रीम कोर्ट केस पर 1857 को आजादी की पहली लड़ाई कोर्ट के आदेश पर माना गया। 13 अप्रैल 2010 को केंद्रीय सरकार ने 1857 स्वतंत्रता सेनानी पेंशन भी माना, पर आज तक केंद्रीय और राज्यों की सरकारों ने सूची तक नहीं बनाई। इसका मुख्य कारण कि राज करने वाली पार्टियों के नेताओं के पूर्वज अंग्रेजो के साथ थे अपनी गद्दारी न सामने आए, इसलिए मनमाने तरीके से झूठी बाते लिखवा कर गुमराह कर रहे हैं। जिनके पूर्वजो का जो भी योगदान है- जिसमे गुर्जर, किसान जैसी सभी क्रिमिनल ट्राइब ऐक्ट झेलने वाली सभी जातियां प्रमुख हैं, वे अपनी भाषा हिंदी अथवा अंग्रेजी में 8 जगह पत्र लिख कर सूची में जोड़ने की अपील करे।
भारत की आजादी की पहली लड़ाई 1857 में आगरा अवध संयुक्त प्रांत के आजमगढ़ जिले के  महान अमर सपूतों और बलिदानी महावीर शहीदों का योगदान पर शाम 700pm से 830pm दिन रविवार 24 जनवरी को गूगल मीट आयोजित की जाएगी। इसमें दी गई लिंक से जुड़ कर शामिल हो सकते हैं। लिंक दोबारा लेने हेतु 9540288242, 8447875451, 6306504491 पर मैसेज करके मांग सकते हैं। गूगल मीट अल हिंद पार्टी बी-2/40 सफदरजंग एन्क्लेव नई दिल्ली द्वारा आयोजित की जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत के सुप्रसिद्ध विद्वान वक्ताओं द्वारा विभिन्न तरह की जानकारी देना है।
प्रधान महा सचिव अल हिंद पार्टी बी-2/40 सफदरजंग एन्क्लेव नई दिल्ली। 
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