Thursday, May 26, 2022
  • Login
Shiksha Vahini
  • अन्तर्राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • अपराध
  • लाइफ स्टाईल
    • कविता
    • लेख
    • सामाजिक
  • दिल्ली
  • उत्तरप्रदेश
    • आगरा
    • गोरखपुर
    • चन्दौली
    • जौनपुर
    • नोएडा
    • प्रयागराज
    • बागपत
    • मथुरा
    • मिर्जापुर
    • मुजफ्फरनगर
    • मेरठ
  • उत्तराखण्ड़
    • अल्मोडा
    • देहरादून
  • राज्य
    • मध्यप्रदेश
    • राजस्थान
  • धर्म
    • आस्था
  • आर्थिक
  • Epaper
No Result
View All Result
  • अन्तर्राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • अपराध
  • लाइफ स्टाईल
    • कविता
    • लेख
    • सामाजिक
  • दिल्ली
  • उत्तरप्रदेश
    • आगरा
    • गोरखपुर
    • चन्दौली
    • जौनपुर
    • नोएडा
    • प्रयागराज
    • बागपत
    • मथुरा
    • मिर्जापुर
    • मुजफ्फरनगर
    • मेरठ
  • उत्तराखण्ड़
    • अल्मोडा
    • देहरादून
  • राज्य
    • मध्यप्रदेश
    • राजस्थान
  • धर्म
    • आस्था
  • आर्थिक
  • Epaper
No Result
View All Result
Shiksha Vahini
No Result
View All Result

पृथ्वी को बचाने की मुहिम में सभी देशों को आगे आना चाहिए

shikshavahini by shikshavahini
January 12, 2021
in अन्तर्राष्ट्रीय
0
पृथ्वी को बचाने की मुहिम में सभी देशों को आगे आना चाहिए

डॉ. जगदीश गाँधी, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

पेरिस समझौते की पांचवी वर्षगांठ के अवसर पर 2020 जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुटेरेस ने कहा कि ‘‘जब तक हम ‘कार्बन न्यूट्रैलिटी’ की स्थिति प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक जलवायु आपातकाल की स्थिति घोषित की जाये।’’ गुटेरेस ने इस बात पर जोर दिया कि सभी देशों को अपनी भावी पीढ़ियों के लिए पृथ्वी को बचाने की मुहिम में आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘‘मैं हर किसी से आग्रह करता हूँ कि वह प्रतिबद्धता दिखाएं और हमारे पृथ्वी के दोहन पर लगाम लगाएं। हमें अपने बच्चों और नाती-पोतों का भविष्य सुनिश्चित करने की जरूरत है।’’ उन्होंने उम्मीद जतायी कि अगर वैश्विक उत्सर्जन में 2010 के स्तर की तुलना में 2030 तक 45 प्रतिशत की कमी हो तो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ‘कार्बन न्यूट्रैलिटी’ हासिल कर सकता है।

किसी भी देश के बच्चों का भविष्य सुरक्षित नहीं है

विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और नामी मेडिकल जर्नल ‘द लान्सेट’ की एक संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार पर्यावरण में बदलाव के कारण किसी भी देश के बच्चों का भविष्य सुरक्षित नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 20 वर्षों में शिक्षा, पोषण और जीवन काल में बढ़ोत्तरी के बावजूद बच्चों का अस्तित्व संकट में है। विश्व भर के 40 विशेषज्ञों द्वारा तैयार रिपोर्ट के अनुसार ‘पर्यावरण आपातकाल’ के इस दौर में बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए बदलावों की आवश्यकता है। रिपोर्ट तैयार करने वाले विशेषज्ञों ने ऐसे कदम उठाने की जरूरत बताई है, जिससे बच्चों के अधिकार सुरक्षित रहें और वे बेहतर जिंदगी जी सकें। यूनिसेफ के स्वास्थ्य मामलों के प्रमुख स्टीफन पीटरसन ने बताया कि सबसे गरीब देशों के बच्चे पर्यावरण में बदलाव से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार यदि उत्सर्जन का मौजूदा टेªंड बरकरार रहा तो साल 2100 तक ग्लोबल वाॅर्मिंग के चलते तापमान 4 डिग्री सेंटीग्रेड तक बढ़ जायेगा। इससे समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा, गर्मी बढ़ेगी और मलेरिया एवं डेंगू जैसी बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ेगा और सबसे ज्यादा बच्चे इसकी चपेट में आयेंगे।

ग्रेटा थनबर्ग के साथ दुनियाँ के 123 देशों के करीब 15 लाख बच्चों ने की सुरक्षित भविष्य की मांग

दुनियाँ के सातवें सबसे अमीर और सम्पन्न देश स्वीडन में रहने वाली ग्रेटा थनबर्ग पिछले काफी समय से ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ आक्रामक अभियान पर है। ग्रेटा ने कहा कि अगला दशक यह तय करने वाला है कि इस पृथ्वी का भविष्य क्या होगा। पिछले साल जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए ग्रेटा ने स्वीडन की संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन के लिये हर शुक्रवार अपना स्कूल छोड़ा था। ग्रेटा विरोध प्रदर्शन के दौरान एक तख्ती के साथ संसद के बाहर खड़ी रहती थी जिस पर ‘‘स्कूल स्ट्राइक फाॅर क्लाइमेट’’ लिखा होता था, जिससे प्रेरित होकर कई देशों में ‘फ्राइडे फाॅर फ्यूचर’ के साथ एक मुहिम शुरू हो गयी। फ्राइडे फाॅर फ्यूचर अभियान के तहत ग्रेटा के आवाह्न पर 15 मार्च 2019 को दुनिया के 123 देशों में 2052 जगहों पर करीब 15 लाख छात्रों ने एकजुट होकर इसके लिए आवाज बुलंद की। ग्रेटा ने विश्व के नेताओं से आग्रह किया है कि अब केवल बातों से कुछ नहीं होने वाला। आपको कुछ ठोस कार्य योजना बनानी होगी क्योंकि युवाओं की निगाहें विश्व के नेताओं पर लगी है, ऐसे में यदि उन्होंने लोगों को निराश किया जो वह उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे।

जलवायु परिवर्तन के कारण पूरे ग्रह का भविष्य दांव पर लगा है

स्विटजरलैण्ड के दावोस शहर में विश्व आर्थिक मंच की बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि अगर विश्व के प्रमुख औद्योगिक देशों ने अपने कार्बन उत्सर्जन में कटौती नहीं की तो जलवायु परिवर्तन मानवता के लिए अभिशाप बन कर रह जायेगा। गुटेरस ने वैश्विक समुदाय से अपील की है कि जलवायु परिवर्तन के लिये समझदारी भरे निर्णयों की जरूरत है, क्योंकि पूरे ग्रह का भविष्य दांव पर लगा है और कोई भी अकेला देश जलवायु परिवर्तन को रोक नहीं सकता। इसलिए इसके लिये पूरी दुनियाँ को मिलकर प्रयास करना होगा, जिसके लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति और कायापलट कर देने वाली नीतियों की जरूरत है।

जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे भौगोलिक सीमाओं से बंधे हुए नहीं होते      

जिस पृथ्वी का वातावरण कभी पूरे विश्व के लिए वरदान था आज वहीं अभिशाप बनता जा रहा है। पिछले कुछ दशकों में धरती पर मौजूद प्राकृतिक संसाधन किसी न किसी वजह से खत्म हो रहे हैं। ये भविष्य के लिए खतरे की घंटी है। यदि इन प्राकृतिक संसाधनों को बचाने और सहेजने के लिए अभी से कड़े कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले कुछ सालों में इसके भयानक परिणाम देखने को मिलेंगे। दुनिया का फेफड़ा कहे जाने वाले अमेजन के जंगल में लगी आग और ग्लोबल वर्मिंग की वजह से पिघल रहे ग्लेशियर इस चिंता को और भी बढ़ा रहे हैं। वास्तव में अब प्राकृतिक सम्पदाओं के संरक्षण का समय आ गया है, यदि हम अभी नहीं चेते तो भविष्य में हमें इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे। हमारा मानना है कि जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे भौगोलिक सीमाओं से बंधे हुए नहीं होते हंै। प्रकृति का कहर किसी देश की सीमाओं को नहीं जानता। वह किसी धर्म किसी जाति व किसी देश व उसमें रहने वाले नागरिकों को पहचानता भी नहीं।

विश्व संसद, विश्व सरकार व विश्व न्यायालय का गठन आवश्यक

वास्तव में वह समय आ चुका है जबकि पर्यावरण असंतुलन पर केवल विचार-विमर्श के लिए बैैठकें आयोजित करने की बजाय विश्व के सारे देशों को ठोस पहल करने के लिए एक मंच पर आकर तत्काल विश्व संसद, विश्व सरकार और विश्व न्यायालय के गठन पर सर्वसम्मति से निर्णय लेना चाहिए, अन्यथा बदलता जलवायु, गर्माती धरती और पिघलते ग्लेशियर पृथ्वी के अस्तित्व को ही संकट में डाल देंगे। इस विश्व संसद द्वारा विश्व के 2.5 अरब बच्चों के साथ ही आगे जन्म लेने वाली पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य के लिए जो भी नियम व कानून बनाये जाये, उसे विश्व सरकार द्वारा प्रभावी ढंग से लागू किया जाये और यदि इन कानूनों का किसी देश द्वारा उल्लघंन किया जाये तो उस देश को विश्व न्यायालय द्वारा दण्डित करने का प्रावधान पूरी शक्ति के साथ लागू किया जाये। वास्तव में तभी भारत सहित विश्व के 2.5 अरब बच्चों के साथ ही आगे जन्म लेने वाली पीढ़ियों को एक सुन्दर एवं सुरक्षित भविष्य प्रदान करने के लिए इस प्यारी पृथ्वी को महाविनाश से बचाया जा सकेगा।

संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ

Post Views: 147
Previous Post

माध्यमिक शिक्षा विभाग में 47 शिक्षा अधिकारियों के तबादले, 15 को निवर्तन पर बेसिक शिक्षा विभाग भेजा

Next Post

बैठक में अतिरिक्त स्रोत ऊर्जा राज्य मंत्री रमाशंकर सिंह पटेल ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर टिप्स दिए

Next Post
बैठक में अतिरिक्त स्रोत ऊर्जा राज्य मंत्री रमाशंकर सिंह पटेल ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर टिप्स दिए

बैठक में अतिरिक्त स्रोत ऊर्जा राज्य मंत्री रमाशंकर सिंह पटेल ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर टिप्स दिए

  • अन्तर्राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • अपराध
  • लाइफ स्टाईल
  • दिल्ली
  • उत्तरप्रदेश
  • उत्तराखण्ड़
  • राज्य
  • धर्म
  • आर्थिक
  • Epaper

© 2021 Shiksha Vahini

No Result
View All Result
  • अन्तर्राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • अपराध
  • लाइफ स्टाईल
    • कविता
    • लेख
    • सामाजिक
  • दिल्ली
  • उत्तरप्रदेश
    • आगरा
    • गोरखपुर
    • चन्दौली
    • जौनपुर
    • नोएडा
    • प्रयागराज
    • बागपत
    • मथुरा
    • मिर्जापुर
    • मुजफ्फरनगर
    • मेरठ
  • उत्तराखण्ड़
    • अल्मोडा
    • देहरादून
  • राज्य
    • मध्यप्रदेश
    • राजस्थान
  • धर्म
    • आस्था
  • आर्थिक
  • Epaper

© 2021 Shiksha Vahini

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In