शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। एसडी कालेज ऑफ़ इन्जिनियरिंग एण्ड टैक्नोलोजी में स्वामी विवेकानन्द के जन्म दिवस के अवसर पर कैलीग्राफी प्रतियोगिता व गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ महामृत्युन्जय मिशन के अध्यक्ष संजीव शंकर, संस्थान के अधिशासी निदेशक-प्रो0 (डा0) एसएन चौहान, प्राचार्य डा0 एके गौतम, डीन डा0 पारेश कुमार व चीफ प्राक्टर डा0 आरटीएस पुंडीर ने दीप प्रज्जवलन व स्वामी विवेकानन्द के चित्र के समक्ष पुष्पांजली समर्पित कर किया।
संजीव शंकर ने युवा दिवस के आयोजन पर एसडी कालेज ऑफ़ इन्जिनियरिंग एण्ड टैक्नोलोजी को बधाई देते हुए कहा कि स्वामी विवेकानन्द युवा चेतना के प्रतिक है। सनातन धर्म की विश्व में पताका फहराने का श्रेय उनको जाता है। स्वामी जी जाति-धर्म और देश की भौगोलिक सीमाओं से मुक्त थे। उन्होने अमेरिका में धर्म संसद में विश्व को मानवता का पाठ पढ़ाया और कहा कि भारत भूमि एक पुण्य भूमि है, जहाँ मानवता शान्ति एवं सहचर्य की वैशिष्टता को प्राप्त किया गया है। हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिये तभी विश्व में शान्ति स्थापित हो सकती है और युवाओं का शांतिमय विश्व व्यवस्था में अहं स्थान हो सकता है।
संस्थान के अधिशासी निदेशक प्रो0 (डा0) एसएन चौहान ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द का उद्घोष था कि मेरा मिशन है मैन-मेकिंग (मानव निर्माण) और हम सभी को अन्तर्मुखी होकर सोचना चाहिये कि प्राणी मात्र एक ही परमात्मा के अंश है, अतः सबको भ्रात्रभाव व सह अस्तित्व की भावना से आगे बढ़ना चाहिये। युवाओं को उद्बोधन करते हुये स्वामी विवेकानन्द के द्वारा कठोपनिषद के मंत्र ‘उत्तिष्ठत जाग्रतः प्राप्य वरान्निबोधतः‘ का उल्लेख करते हुये कहा कि उठो, जागो और लक्ष्य की प्राप्ति तक मत रूको। प्रो0 चौहान ने स्वामी जी द्वारा मानवता की भलाई के लिये किये प्रयासों पर प्रकाश डालते हुये कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने आध्यात्मिक आधार पर मानव भाईचारे और शांति फैलाने के लिये अपने पूरे जीवन में प्रयास किया। वे मानव जाति के महान प्रेमी थे। उनके जीवन के अनुभव हमेशा लोंगो को प्रेरित करते थे और मुनष्य को नवीनीकृत करते थे। हमें उनके आदर्शों पर चलकर सुन्दर सफल समाज की रचना करनी चाहिये ताकि समाज में सद्भाव बढे़। उनकी शिक्षा में सर्वाेपरी शिक्षा है ‘‘मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है’’। प्राचार्य डा0 एके गौतम ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी के जीवन का मिशन केवल राष्ट्रीय सीमाओं तक ही सीमित नही था, बल्कि इससे कहीं अधिक था। उन्होने मानव जाति की सेवा के लिये अपना जीवन समर्पित किया जो निश्चित रूप से राष्ट्रीय सीमाओं से आगे बढ़ा। आज के युवाओं को चाहिये की वे स्वामी जी के दिखाये मार्ग पर आगे बढ़े। डीन डा0 पारेश कुमार ने कहा कि सर्वजन हित के लिये स्वामी विवेकानन्द के सिद्वान्त सदैव तर्कसंगत रहेंगे। अतः इन्हे जीवन में उतारने की महती आवश्यकता है।
कार्यक्रम का संचालन डा0 प्रगति शर्मा ने किया और कैलिग्राफी प्रतियोगिता में विजयी छात्र-छात्राओं की घोषणा की। प्रतियोगिता में विजयी छात्र-छात्राओं को मेडल व प्रशस्ती पत्र देकर सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में डा0 योगेश कुमार शर्मा, डा0 नवीन द्विवेदी व श्रीमति पारूल गुप्ता रही। प्रतियोगिता में नेहा, निशा, उजैर ने प्रथम, प्रतीक, पीयूषी, मोहित व इशिका ने द्वितीय व विशाखा, स्वाती, तान्या, मनीष, आदित्य व अभिषेेक ने तृतीय व निधी ने सांतवना पुरस्कार प्राप्त किया। गोष्ठी में संस्थान के छात्र-छात्राओं प्रतीक, शुभांगी, यशी, अफजल, नमन, तनुशी, स्वाती व प्रणव ने स्वामी विवेकानन्द जी के जीवन परिचय, उनके आदर्श और उनकी उपलब्धियों पर अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में डा0 आरटीएस पुंडीर, डा0 योगेश शर्मा, डा0 विकास कुमार, अभिषेक राय, डा0 नवीन द्विवेदी, मृदुल शर्मा, निलांशु गुप्ता, शिवानी कौशिक, आशुतोष, राजेन्द्र कुमार, संगीता अग्रवाल, प्रवीण कुमार, मनोज कुमार, मुर्सलीन रहमान, अनुज कुमार, धीरज कुमार, ब्रजमोहन, आकाश कुमार, राजीव कुमार, प्रमोद कुमार, गोपाल व दिनेश कुमार आदि का सहयोग रहा।