
होरी लाल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
मेरी क्या हस्ती है
हस्ती खाक में मिल जायेगी
चार चरण धरती देकर
स्वजन भी घर को लौट गये
कुछ मित्र लेकर शमशान गये
अन्तिम क्रिया करके
वह भी जलता छोड़ गये
दिवस तीन में
मुझको चिता में खोज रहे
कुछ अवशेष शेष रहे
गंग में प्रवाहित कर
मेरा अस्तित्व मिटा दिया
जगती तल में केवल
शेष रहा नाम मेरा
स्वजन भी मेरे
मुझको भूल गये
गंगानगर साकेत मेरठ, उत्तर प्रदेश