सतीश चन्द्र”सौमित्र”, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
बीत गया है वर्ष एक यह,
क्षण-क्षण क्षण में बहकर।
मृदुल-तिक्त कुछ स्मृतियों के
पट को रंग रंगकर।
त्रासद और व्यथाएं कितनी,
कुछ लेख उन्हीं के लिखकर।
पर जीवन के झंझावातों में,
कब रुकते पंथी पथ पर?
कुछ चिन्ह बने हैं और बनाने
सृजन चाह हृदयंगम कर।
पल मास वर्ष सब चलते
आगत के हों सुखकर।
आओ लिख दें नई कहानी,
हम समय पृष्ठ के ऊपर।
सीतापुर, उत्तर प्रदेश