प्रीति शर्मा “असीम “, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
उस दिन…
मैं रोते -रोते हंसा।
जिंदगी के उस दौर में,
जब …………
हकीकतों का सामना हुआ।
खुद से ,
लड़ते -लड़ते जब,
खुद का सामना हुआ।
उस दिन…..
आईने में,
खुद को देख कर ।
मैं रोते- रोते हंसा।।
क्यों…….?
डर को निकाल नही पाते ।
हार जाओगे,
यह सोच कर।
क्यों……..?
जीत की बाजी नही लगाते।।
उठो……..!!!!!
अब जवाब देना है।
तमाम सवालों का हिसाब देना है।
उन जवाबों की तलाश में,
उस दिन मैं रोते -रोते हंसा।।
अपनी कमजोरियों को,
क्यों अपनी ताकत बनाते नही।
तुम सब कर सकते हो…
अपने भीतर की ,
आवाज …..
क्यों……..
सुन पाते नही।।
जिस दिन मैंने….
खुद को सुन लिया।।
उस दिन के बाद….
फिर रोया नहीं।
उन आंसुओं पर हंसा।।
नालागढ़ हिमाचल- पंजाब