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Shiksha Vahini
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निशान

shikshavahini by shikshavahini
December 16, 2020
in लाइफ स्टाईल, लेख, सामाजिक
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निशान

कुँवर आरपी सिंह, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

एक गाँव में बेहद गुस्सैल लड़का रहता था। छोटी छोटी बातों पर भी उसे गुस्सा आने से वह किसी को भी अनाप-शनाप, भला-बुरा कह देता। उसकी इस आदत से औरों के अलावा उसका परिवार भी चिन्तित और दुखी था। एक दिन उसके पिता ने उसे एक कीलों भरा थैला और हथौडी़ दी और कहा-ब जब भी तुम्हें गुस्सा आये तो इस थैले से एक कील निकालना और सामने अपने बाड़े में ठोक देना। पहले दिन लड़के को दिन में चालीस बार गुस्सा आया और इतनी ही कीलैं उसने बाड़े में ठोंक दी।  फिर धीरे-धीरे कीलों की गिनती घटनें लगी, क्योंकि हर कील ठोकने से उसे एहसास होने लगा कि कील ठोंकने से अच्छा है कि अपने क्रोध पर काबू किया जाय और कुछ हफ्तों के प्रयास से उसने अपने क्रोध पर काबू पा लिया। फिर एक दिन ऐसा भी आया कि दिन में उसे एक बार भी गुस्सा नहीं आया।
https://shikshavahini.com/4163/
  उसने यह बात अपने पिता से बताई। पिता ने कहा-बहुत अच्छे। अब जिस दिन तुम्हें जरा सा भी क्रोध न आये, तुम बाड़े से एक कील निकाल देना। लड़के ने ऐसा ही किया। कुछ दिन बाद ऐसा समय आ गया , जब उसने बाड़े से सारी कीलें निकाल लीं।  उसने जब पिता को यह खुशखबरी दी, तो वह उसे बाड़े के पास लेकर गये, और बोले-बेटे! तुमने बहुत समझदारी का कार्य किया है। बेटे! क्या तुम बाड़े में हुए छेदों को देख रहे हो? अब यह बाड़ा पहले जैसा कभी नहीं बन सकता। जैसे कि जब तुम क्रोध में किसी को कुछ कहते हो, तो वे शब्द भी सामने वाले व्यक्ति पर गहरे घाव छोड़ जाते हैं। जो उसे हमेशा याद रहते हैं। इसलिये क्रोध हमेशा बुरे परिणाम ही देता है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष जय शिवा पटेल संघ
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