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दिल में इन्सानियत रखिए 

shikshavahini by shikshavahini
December 4, 2020
in लाइफ स्टाईल, सामाजिक
0
दिल में इन्सानियत रखिए 

राजेश सारस्वत, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

हम कैसी सामाजिकता और समरसता की बात करते हैं जबकि प्रत्यक्ष में हम उसके विपरीत आचरण करते हैं। हिंदू अपने हिंदुत्व पर मुस्लिम अपने नमाजी होने पर गर्व करता है और बाद में यही दोनों न तो आपस में और न ही मानवता में मानव होने के ढोंग को छिपा पाता है। इन्सानियत को छोड़कर न तो ये धर्मानुयायी अपने धर्म की शिक्षा अनुसार समाज के प्रति संवेदनशील है और न ही धर्मी होने का नाटक छोड़ते हैं। आखिर कब तक एक दूसरे को नफ़रत के ज़हर का घोल पिलाते रहेंगे। मानवता की सारी हदें पार करके हम अपने आप को  हरिभक्त वत्सल बनते फिरते हैं, ऐसे महसूस करवाते जैसे साक्षात प्रभु की मूरत हो। पुरुष प्रधान और स्त्री को उपभोग मात्र समझने वाले मानुष अधिकतर संख्या में इन्हीं दो धर्मों से संबंध रखते हैं, हालांकि सिख भी इस मामले में सुर्खियों में आने शुरू हो गए हैं। गुरुद्वारों में स्त्रियों के साथ यौन उत्पीड़न की खबरें आये दिनो पढ़ने को मिलती है। मुस्लिम देश में भी स्त्रियों पर अत्याचार की खबरें हमेशा सुर्खियों में रहती है और हमारे पुरातन संस्कृति के पालक, नारी को देवी स्वरूप (मात्र पुस्तक और भाषणों में) मानने वाले भारत वर्ष में अधिकतर औरतों को प्रत्येक मामलों में समझौता करना पड़ता है। चार दीवारी के अंदर तो अधिकतर स्त्री को फटकार की वस्तु स्वरूप मानते आये है क्योंकि पुरुष अपने पौरुष बल दर्शाने में गर्व महसूस करता आया है। अत्याचार, बलात्कार, हत्या आदि मामलों के आंकड़े को दिल को दहला देते हैं।
भारत में लगभग छियासठ (66) महिलाओं के साथ प्रतिदिन में बलात्कार होता है, जिसमें देवभूमि भी कम नहीं, तो हम फिर किस संस्कृति की किस धर्म की कौन से सदाचार की डिंगे मारते है। यहाँ तक कि मंदिर और मस्जिद के पुजारी और मौलवी इन घिनौनी हरकतों में सम्मिलित पाए जाते हैं। साधु संतो के प्रवचनों से तो अब जेलों के सभागार भी भर गए जहाँ पर करोड़ो की सम्पत्ति वाले बाबा साधू लोग चटनी घिसते पीसते तरोताज़ा हवा खाते रहते हैं। आज इन सभी बातों से उठ कर मानवीय मूल्यों को जीवित रखते हुए बच्चों में अच्छे संस्कारों, नैतिक मूल्यों और नैतिक जिम्मेदारी का बीज अंकुरित करना होगा जिसमें माता – पिता और शिक्षकों को सबसे अधिक सहयोग सम्भावित है अन्यथा निर्भया, गुड़िया और प्रियंका जैसी न जाने कितनी ही हैवानियत की ग्रास बन मिट्टी में मिल कर अखबारों और कानूनी काग़ज़ों में दफन हो कर न्याय का इंतजार करती रह जाएगी।

इन्सान है तो

इन्सान है तो दिल में इन्सानियत रखिए
जैसे भी हो ज़िन्दा अब आदमीयत रखिए
 रहिए गर ज़िन्दा तो मुँह में जुबान रखिए
सर ऊंचा और अपनी एक पहचान रखिए
राम कृष्ण की जन्मभूमि थी ये भारतभूमि
सदाचार प्रेम परोपकार से भरा रखिए
जात धर्म की बंदिशें नहीं थी आदमीयत में
महान देश था मेरा इसे सदा महान रखिए
शिमला, हिमाचल प्रदेश
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