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Shiksha Vahini
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जीवन सफ़र

shikshavahini by shikshavahini
November 11, 2020
in मध्यप्रदेश, लाइफ स्टाईल, लेख, सामाजिक
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वृद्धावस्था

कुंवर आरपी सिंह, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

भगवान बुद्ध उन दिनों श्रावस्ती के जेतवन में वास कर रहे थे।  एक दिन एक जिज्ञासु उनके सत्संग में पहुँचा और अवसर मिलने पर भगगवान से पूछा-प्रभू ! पतन से बचने के लिए हमें क्या क्या उपाय करने चाहिये। बुद्ध ने उपदेश देते हुए कहा कि हमें सदैव धर्म और न्याय के मार्ग पर अटल रहना चाहिये। धर्म के प्रति घृणा और संशय नहीं आने देना चाहिए। कुसंग से भी पतन होता है। अतः सदैव सत्पुरुषों का ही संग करना चाहिए। दुर्व्यसनी से दूर रहना चाहिए, क्योंकि जो व्यक्ति गप्प मारने में समय बिताता है और क्रोधी, ईर्ष्यालु है, खाली दिमाग शैतान का डेरा होता है। उसके पतन की आशंका बनी रहती है।
        अतः हमेशा कर्मठ और शान्तचित्त रहने से पतन से बचा जा सकता है। जिस व्यक्ति को जन्म,जाति, सुन्दर शरीर,धन का अभिमान हो जाता है , वह एक न एक दिन  गर्त में जरूर गिरता है। मानव को किसी भी प्रकार के अहंकार से बचना चाहिए, जो व्यक्ति असंयमी, भोगी, शराबी और जुआरी हैं, उसके पतन को कोई नहीं रोक सकता। भगवान बुद्ध ने आगे कहा कि जो व्यक्ति सत्य, संयम और अहिंसा का पालन करता है, अपने वृद्ध माता-पिता की सेवा करके उनका आशीर्वाद लेता है, अपनी कमाई का कुछ अंश गरीब, असहाय की सेवा-सहायता में खर्च करता है, उसकी सदैव ही उन्नति होती है। उपदेश से जिज्ञासु का चित्त शान्त हो गया और मन को अजीब सी सुखद संतुष्टि मिली।
राष्ट्रीय अध्यक्ष जय शिवा पटेल संघ
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इस बार पटाखे से दूरी, सेहतमंद रहने के लिए जरूरी, जहरीला धुआं इर्द-गिर्द रहकर पैदा कर सकता है दिक्कत, बीमारियों को दे सकता है आमन्त्रण 

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