शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। एसडी कालेज ऑफ इन्जिनियरिंग एण्ड टैक्नोलोजी में संस्थान के उपाध्यक्ष विनोद कुमार व सचिव अनुभव कुमार एडवोकेट ने वेस्ट मेटिरियल का पुनः प्रयोग कर निर्मित किये गये जल शीतलीकरण उपकरण का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि विनोद कुमार ने कहा कि देश में पर्यावरण के लिये इलेक्ट्रानिक्स वेस्ट व अन्य वेस्ट बहुत बड़ा खतरा है। एसडी कालेज ऑफ इन्जिनियरिंग एण्ड टैक्नोलोजी के शिक्षकों द्वारा कोरोना काल में संस्थान में पुराने एयर कंडिशनर्स के पार्टस व अन्य मेटिरियल का उपयोग कर तकनीकी ज्ञान का एक सफल प्रयोग किया है। इस उपकरण से सैकड़ों छात्र-छात्राऐं ठण्डा जल ग्रहण कर सकेंगे।
उद्घाटन समारोह में सचिव अनुभव कुमार ने शिक्षकों को तीन आर‘ रीयूज, रीसाईकिल व रिडयूस पर निरन्तर कार्य करने के लिये प्रोत्साहित किया, ताकि संसाधनों का आदर्शतम उपयोग हो सके और शिक्षा, स्वास्थ्य व पर्यावरण में सामंजस्य स्थापित हो सके। संस्थान के अधिशासी निदेशक प्रो0 (डा0) एसएन चैहान ने मैकेनिकल विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 मनोज झा व उनकी टीम को संस्थान के लिये न्यूनतम व्यय में वेस्ट उपकरणों का प्रयोग कर छात्र-छात्राओं व स्टाफ के लिये शीतल जल संग्रह के डिजाईन व निर्माण के लिये शुभकामनाऐं दी और बताया कि संस्थान में शिक्षकों व छात्रों के सहयोग से कोरोना काल में ही पुराने मेटिरियल्स का उपयोग कर फुट ऑपरेटिड सेनिटाईजिंग मशीन व सेनिटाईजेशन टनल का भी निर्माण किया गया है जिनका वर्तमान में उपयोग हो रहा है।
इस अवसर पर संस्थान के प्राचार्य डा0 एके गौतम ने कहा कि तकनीक वही जो जनोपयोगी हो संस्थान में सभी शिक्षकों व छात्रों को सदैव प्रेरित किया जाता है कि पृथ्वी पर विशेषतः भारतवर्ष में संसाधनों पर निरन्तर दबाव बढ़ रहा है। अतः हमें संसाधनों के संरक्षण एवं बचाव पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिये ताकि हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे। मानव जीवन सुरक्षित रहे और यह तकनीक व ज्ञान के सदुपयोग से ही संभव है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 मनोज झा ने कहा कि इस सिस्टम में इनडायरेक्ट सरफेस कूलिंग के सिद्धान्त का इस्तेमाल किया गया है। इस सिद्धान्त के अुनसार कूलिंग क्वायल टैंक के अन्दर न डालकर उसको टैंक के बाहर लपेटकर वैल्डिंग की गई है। जिससे अगर भविष्य में कभी रेफ्रिजरेन्ट गैस का रिसाव होता है तो वह पानी में नही घुलेगा और स्वास्थ्य की दृष्टि से यह काफी सुरिक्षत है।
जल शीतलीकरण उपकरण बनाने में मैकेनिकल विभाग के शिक्षक प्रो0 पुनित गोयल, प्रो0 निलांशु गुप्ता, प्रो0 मृदुल शर्मा, प्रो0 सौरभ मित्तल व लैब असिसटेन्ट संजीव कुमार और धर्मवीर सिंह आदि का सराहनीय योगदान रहा।