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भारत का प्राचीन पैगाम्बरी देसी गेहूं

shikshavahini by shikshavahini
November 9, 2020
in मध्यप्रदेश
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भारत का प्राचीन पैगाम्बरी देसी गेहूं

सचिन कुमार, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

पैगाम्बरी गेहूँ के संबंध में समृध्दि देसी बीज बैंक द्वारा किए कृषि शोधात्मक विश्लेषण में यह पाया गया कि यह किसी भी प्रकार की मिट्टी में बोया जा सकता है, वैसे तो इस की सिंचाई के लिए 4 से 5 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है, किन्तु काली दोमट उपजाऊ मिट्टी में केवल 2 सिंचाई में भी पककर तैयार हो जाता है। अगर इस के उत्पादन की बात करें तो पर्याप्त सिंचित, कार्बनिक तत्वों से भरपूर उपजाऊ भूमि पर 60 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन लिया जा सकता है। पैगाम्बरी गेहूँ की बुवाई नवम्बर के प्रथम सप्ताह से लेकर जनवरी के प्रथम सप्ताह तक की जा सकती है। इस की फसल 120 से 125 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस का भूसा बहुत बारीक निकलता है, जिसे पशु बहुत पसन्द करते हैं। इस का उपयोग मुख्य रूप से रोटियां बनाने, ब्रेड टोस्ट बनाने, दलिया बनाने, और इस के दानों से चावल की तरह खीर बनाने में किया जाता है। इस गेहूं की रोटियां बहुत ही मुलायम, सफेद और स्वादिष्ट होती हैं!

पैगाम्बरी गेहूँ खाने के ये भी हैं फायदे

1. एनर्जी के लिए
पैगम्बरी गेहूं खाने से एनर्जी मिलती है। ये ऊर्जा का एक बहुत अच्छा स्स्रोत है। यह वजन घटाने में भी सहायक है। दरअसल, इसे खाने के बाद काफी देर तक भूख नहीं लगती। इससे वजन कंट्रोल भी होता है।

2. स्वस्थ दिल के लिए
पैगाम्बरी गेहूं कोलेस्टेरोल लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है। इससे दिल से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है। इसमें मैग्नीशियम और पोटेशियम भी है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मददगार है।

3. पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने के लिए
गेहूं में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में सहायक है। इस गेहूं को खाने से कब्ज की समस्या भी नहीं होती है।

4. कैंसर से बचाब के लिए
गेहूं की खेती जैविक तरीके से की जा रही है, इसलिए यह कैंसर से बचाव में भी सहायक है। डायबिटीज के मरीज इसका नियमित सेवन कर शुगर कंट्रोल कर सकते हैं।

पैगाम्बरी गेहूं की खासियत

– आकार मैथी की तरह है!
– बाजरे की तरह गुण है!
– अन्य गेहूं की अपेक्षा प्रोटीन कम है!
– छिलका ज्यादा है!
– जल्दी पचने वाली वैरायटी है!
– फायबर अधिक है!

किसान जन परिषद्

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