डा.मिली भाटिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
पहली करवाचौथ पर जीवनसाथी बोले-मानी तेरे लिए चुपके से साबूदाने की खिचड़ी बना देता हूँ, किसी को पता भी नहीं चलेगा। ये किसी फिल्म का सीन नहीं, बल्कि आनंद-मिली की प्रेम कहानी का वो सुखद पहलू है, जो दोनों को भुलाये नहीं भूलता। शादी को 10 साल हो चुके हैं, पर पहली करवाचौथ के सुखद अहसास की खुशबू चेहरे पर आज भी मुस्कुराहट ला देती है।
डा.मिली भाटिया आर्टिस्ट चेहरे पर मुस्कराहट लिए पुराने पलों को याद करते हुए बताती हैं कि जून 2010 में आनन्द यादव संग उनकी लव कम अरेंज मैरिज हुई थी। चार महीने बाद पहला करवाचौथ का व्रत आया। शादी के एक साल तक हम जयपुर में ही रहते थे। एक दिन पहले मुझे पार्लर से मेहँदी लगवाने जाना था पर आनी (पति आनन्द यादव) ने मना कर दिया। मानी यानी मैं गुस्से में थी। करवाचौथ की पहली रात को आनी ने रात 12 बजे पानी का गिलास ला कर दिया। अगले दिन प्यासा रहना पड़ेगा, यही सोचकर पानी तो गुस्सा होने के बावजूद पी लिया। इसके बाद आनी ने कोण ले कर अपने हाथ से अपनी मानी के हाथ में मेहँदी लगाई थी। तब से ये प्यारा सा रिवाज बिना नागा हर करवाचौथ पर बादस्तूर चला आ रहा है। मानी यानी मिली बताती हैं कि अगले दिन करवाचौथ पर बिना पानी मेरी प्यास से जान ही निकली जा रही थी। एक रात पहले के 12 बजें से करवाचौथ की रात चाँद निकलने के 9 बजे तक पहली बार प्यासी रही। पड़ोस की भाभियाँ मजे से सरगी ले चुकी थीं और शाम चार बजे कथा के बाद पानी भी पी चुकी थीं। मेरी हालत खराब थी। पतिदेव आनंद यानी आनी ने इस अवसर पर मुझे साड़ी गिफ्ट की और बोले-मानी! मैं तेरे लिए चुपके से साबूदाने की खिचड़ी बना देता हूँ, तू चुपके से खा ले, किसी को पता भी नहीं चलेगा। आनी और पापा चाँद निकलने तक मुझे चुटकुले सुनाते रहे और मेरे लिए चांद के इंतजार में छत के चक्कर काटते रहे। आखिर 9 बजे चाँद निकला और आनी ने मेरे लिए सबसे पहले चाय बनाई।
उसके बाद से हर करवाचौथ पर एक चाय सुबह पी लेती हूँ और खूब सज-संवर कर करवाचौथ मनातीं हूँ। मेरे आनी की उम्र खूब लम्बी हो, ईश्वर से बस एक ही दुआ है कि अपनी माँ की तरह सुहागन ही इस दुनिया से विदा होऊं, मेरी माँग का सिंदूर हमेशा बना रहे।
रावतभाटा, राजस्थान