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बनाएं पटेल के सपनों का भारत

shikshavahini by shikshavahini
October 31, 2021
in लाइफ स्टाईल, लेख
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मोहनलाल वर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

हमारी भारतीय संस्कृति अनेक परम्पराओं से भरी हुई है, इन्ही परम्पराओं में देश के महापुरूषों को याद करने की परम्परा भी है। 31 अक्टूबर को खण्ड खण्ड भारत को अखण्ड भारत बनाने वाले भारत रत्न लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी जन्मदिन को एकता और अखणता दिवस के रूप में मनाया जाता है। अखण्ड भारत के महान शिल्पी भारत रत्न लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के 146 वीं जयन्ती के पावन अवसर पर उनको कोटि कोटि नमन।

देश की आजादी के समय अंग्रेजों ने कूटनीति चाल से देशी रियायतों को अलग रहने की छूट दे दी, तब सरदार पटेल ने 565 देशी रियायतों का एकीकरण कर खण्ड खण्ड हुए भारत को अखण्ड भारत बनाया था, लेकिन वर्तमान समय में फिर कुछ देशविरोधी ताकतें भारत को विखण्डित कर कमजोर करना चाहती है। सरदार पटेल हमेशा जनसामान्य लोगों की समस्याओं को हल करने को प्राथमिकता देते थे। उस समय देश की शिक्षा व्यवस्था पंगु थी, सीमित शिक्षण संस्थाओं में सभ्रांत वर्ग के बच्चों को शिक्षा मिल पाती थी। सरदार पटेल ने 11 जुलाई 1920 को गुजरात विद्यापीठ और 4 अप्रैल 1947 को विठ्ठल भाई महाविद्यालय की स्थापना की थी।

सरदार पटेल के शिक्षा प्रसार के महान योगदान को देखते हुए 1947 में नागपुर विश्वविद्यालय, हिन्दू विश्वविद्यालय, प्रयाग विश्वविद्यालय और 26 फरवरी 1949 को उस्मानिया विश्वविद्यालय द्वारा सरदार पटेल को डाॅक्टर ऑफ लाॅज की सम्मानित उपाधि प्रदान की गई थी। सरदार पटेल ने किसानों का दर्द को बखूबी समझते हुए 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले के बाढ़ प्रभावित किसानों को राहत दिलाई थी। अंग्रेजों द्वारा किसानों पर टैक्स बढ़ाने के विरोध में सरदार पटेल ने बारदोली किसान आंदोलन चलाया था और अंग्रेजों को झुकने पर मजबूर कर दिया। सरदार पटेल ने 1914 में अपने पिताजी के देहावसान के समय मृत्युभोज का विरोध किया था। हालाँकि आज भी विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा मृत्युभोज का विरोध किया जा रहा है, लेकिन मृत्युभोज पूरी तरह बन्द नहीं हुआ है।

सरदार पटेल बचपन से ही प्रतिभावान छात्र थे, उन्होने मुखत्यारी पास कर मुखत्यारी शुरू की और बाद में बोरसद आकर वकालत शुरू की थी। सरदार पटेल ने अपनी कुशाग्र बौद्धिक क्षमता से शत7प्रतिशत मुकदमें जीते थे। एक बार अपनी पत्नी के निधन का तार मिलने पर पढ़कर जेब में रख लिया और बहस जारी रखकर अपने मुवक्किल को फांसी से बचाने के बाद अपने परिचितों को पत्नी के निधन का समाचार बताया था। सरदार पटेल ने छुआछूत को सामाजिक बुराई मानते हुए 1929 में गुजरात के काठियावाड़ में छुआछूत विरोधी आन्दोलन चलाया था, लेकिन आज भी अति पिछड़े क्षेत्र या ग्रामीण क्षेत्र में छुआछूत का चल रहा है। सरदार पटेल ने गुजरात इन्फ्लूएन्जा ,प्लेग जैसी संक्रामक बीमारियों की रोकथाम और कमला नेहरू अस्पताल बनवाने के लिए 5 लाख का फण्ड एकत्र किया था। चुनाव के समय मुस्लिम लीग नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने ऐलान किया था कि इस्लाम खतरे में है और कांग्रेस हिन्दू पार्टी है, लेकिन सरदार पटेल ने जिन्ना की चुनौती स्वीकार कर कांग्रेस लेजिस्लेचर की 91 सीट जीती और 8 राज्यों कांग्रेस को बहुमत दिलाया था।

आजादी मिलने पर जब पाकिस्तान में हजारों हिन्दूओं की हत्या कर दी गई और उन्हे भारत जाने को मजबूर कर दिया था, उस समय सरदार पटेल ने बड़ी सूझबूझ से भारतीय मुस्लिमों को सुरक्षा दी थी। सरदार पटेल ने गृहमंत्री के दायित्व के साथ-साथ अपनी मृत्यु से महज दो माह पूर्व तक कांग्रेस कोषाध्यक्ष का दायित्व संभाला था। उन्होंने अपने जीवन काल में एक वसीयत रूपी एक पत्र भी लिखा था। उनकी मृत्यु के पश्चात उनकी पुत्री मणिबेन पटेल ने उस वसीयत पत्र का सम्मान करते हुए जमापूंजी तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंप दी थी। इस तरह कांग्रेस पटेल ने आजीवन निस्वार्थ भाव से देश सेवा की थी। हर्ष का विषय है कि केन्द्र सरकार ने सरदार पटेल के सम्मान में विश्व की सबसे ऊंची पटेल स्टेच्यु ऑफ यूनिटी बनायी है। आज पटेल नीति पर चलकर पटेल के सपनों का भारत बनाने की जरूरत है।

मेरठ, उत्तर प्रदेश

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