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एसीएमओ डा. भारत भूषण ने संस्थागत प्रसव के फायदे गिनाये, कहा- इससे मातृ व शिशु मृत्यु दर पर लगता है अंकुश  

shikshavahini by shikshavahini
October 29, 2021
in राष्ट्रीय
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शि.वा.ब्यूरो, नोएडा। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. भारत भूषण ने बताया- संस्थागत प्रसव बढ़ाने के लिए राज्यस्तर से निर्देश प्राप्त हुए हैं। प्रत्येक प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया गया है कि वह अपने स्तर पर हर आशा कार्यकर्ता को प्रेरित करें कि वह अपने क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं की सूची तैयार कर अवगत कराएं और हर सम्भव प्रयास करें कि प्रसव संस्थागत ही हो। इसके अलावा यह भी अवगत कराएं कि संस्थागत प्रसव के अतिरिक्त कितने प्रसव निजी अथवा घर पर कराए गए हैं, ताकि उन महिलाओं और बच्चों की देखभाल उचित तरीके से हो सके। इससे मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने में सहाय़ता मिलेगी ।
डा. भारत भूषण ने कहा कि संस्थागत प्रसव से प्रसूता और होने वाले बच्चे को कई फायदे होते हैं। सबसे पहले तो गर्भधारण के तत्काल बाद ही जांच व उपचार की सुविधा मिल जाती है। उच्च जोखिम प्रसव वाली गर्भवती चिन्हित हो जाती हैं। इससे गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य जांच और प्रसव के बाद देखभाल और निगरानी करने में सहायता मिलती है, जबकि घर पर होने वाले प्रसव के दौरान यह सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। उन्होंने कहा कि नवजात शिशु की देखभाल के लिए तत्काल चिकित्सा सुविधा मौजूद रहती है एवं बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा नियमित रूप से जांच की जाती है। बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर मां का दूध भी मिल जाता है। संस्थागत प्रसव के दौरान अस्पताल में इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है। जन्म के एक घंटे के भीतर बच्चे को मां का पीला गाढ़ा दूध पिलाना बहुत जरूरी होता है, जबकि घर पर अक्सर बच्चा मां के पीले गाढ़े दूध से वंचित रह जाता है, जो कि आगे चल कर कुपोषण सहित कई अन्य बीमारियों का शिकार हो जाता है।
उन्होंने कहा कि संस्थागत प्रसव होने पर बच्चे का टीकाकरण समय पर हो जाता है, जबकि घर पर पैदा हुए बच्चों का कई बार जानकारी के अभाव में समय पर टीकाकरण नहीं हो पाता है। संस्थागत प्रसव होने पर बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र बनवाने में कोई दिक्कत नहीं आती है, जबकि घर पर पैदा हुए बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र बनवाने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार समय पर औपचारिकता पूरी न होने के कारण समस्या और बढ़ जाती है। संस्थागत प्रसव होने पर परिवार नियोजन के बारे में जानकारी मिल जाती है और जरूरत के हिसाब से साधन भी उपलब्ध हो जाते हैं।  इसके अलावा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना के तहत किसी भी सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर प्रसूति को आर्थिक सहायता भी दी जाती है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र में 1400 रुपये जबकि शहरी क्षेत्र में 1000 रुपये मिलते हैं। हालांकि प्रधानमंत्री मातृ वंदना का लाभ पहली बार मां बनने वाली सभी गर्भवती को मिलता है, प्रसव चाहे संस्थागत हो अथवा कहीं और। लेकिन संस्थागत प्रसव होने पर तमाम औपचारिकता समय पर पूरी हो जाती हैं और समय पर योजना का लाभ मिल जाता है। परिवार नियोजन विशेषज्ञ ने बताया वर्ष 2021 अप्रैल से सितम्बर तक जनपद में 17711 संस्थागत प्रसव हुए हैं।
डा. भारत भूषण ने बताया जनपद में 10 सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर संस्थागत प्रसव की सुविधा उपलब्ध है। जिला अस्पताल, ईएसआईसी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र दादरी, ढाडा, बादलपुर, जेवर, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बिसरख, दनकौर और एडिशनल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बरौला, स्वास्थ्य उपकेन्द्र रबुपुरा पर प्रसव सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर हर माह की नौ तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस मनाया जाता है। इस दिवस पर गर्भवती की प्रसव पूर्व सभी जांच की जाती हैं।
बता दें कि सरकार का प्रयास है कि अधिक से अधिक प्रसव संस्थागत हों, इससे जहां मातृ व शिशु मृत्यु दर को कम करने में सहायता मिलती है, वहीं गर्भवती को सरकारी स्तर पर जननी सुरक्षा योजना सहित कई अन्य योजनाओं का भी लाभ मिलता है।
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