शि.वा.ब्यूरो, सहारनपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संजीव मांगलिक ने कहा कि बीमारियों से बचने के लिए सावधानी व सतर्कता बहुत जरूरी है। उन्होंने जनपदवासियों से अपील की कि वह कोविड-19 से बचाव का टीका हर हाल में लगवाएं। कोविड से बचने का एक मात्र उपाय टीकाकरण व जरूरी प्रोटोकाल का पालन है। उन्होंने इन दिनों फैल रहे संचारी रोगों के प्रति भी ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने जनपद के मीडिया बंधुओं से कहा वह संचार माध्यमों से कोविड, डेंगू-मलेरिया सहित संचारी रोगों के प्रति लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें। मुख्य चिकित्सा अधिकारी यहां एक होटल में स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित स्वास्थ्य संचार सुदृढ़ीकरण पर मीडिया कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
डा. मांगलिक ने कहा कि जनपद में इन दिनों संचारी रोग फैल रहे हैं, पर इससे घबराने नहीं, बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है। हर बुखार डेंगू नहीं है और हो रही हर मृत्यु भी डेंगू के कारण नहीं है, इसलिए हर व्यक्ति को अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना होगा। उन्होंने त्योहारों के समय में लापरवाही न बरतने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बेशक सहारनपुर कोविड मुक्त जनपद है, लेकिन मास्क फिर भी जरूरी है। मास्क कोविड ही नहीं तमाम अन्य संक्रामक रोगों से भी बचाता है। उन्होंने बताया कि जनपद में लगातार टारगेट सैम्पलिंग की जा रही है। दीवाली के दौरान रेहड़ी पटरी वालों, दुकानदारों, पब्लिक ट्रांसपोर्ट चालकों की सैंम्पलिंग की जाएगी। डा. मांगलिक ने बताया कि 18 वर्ष की आयु से ऊपर वाले करीब 26 लाख लोगों को टीका लगाया जा चुका है। ब्लॉक सरसावा और रामपुर में 25 अक्टूबर तक सौ प्रतिशत टीकाकरण कर दिया जाएगा।
जिला कार्यक्रम अधिकारी डा. आशा त्रिपाठी ने कुपोषण दूर करने के लिए व्यवहार परिवर्तन को जरूरी बताते हुए कहा कि बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग कुपोषण को दूर करने के लिए लगातार प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि इसके लिए गांव-गांव में समुदाय आधारित जागरूकता कार्यक्रम- गोद भराई, अन्न प्राशन जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि छह माह तक बच्चे को केवल मां का दूध ही पर्याप्त है।
पोषण पुनर्वास केन्द्र के नोडल अधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एके चौधरी ने कहा कि पोषण बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी है। बच्चे का पहले पांच साल में ही 95 प्रतिशत मानसिक विकास हो जाता है। उन्होंने बताया कि पोषण पुनर्वास केन्द्र की गतिविधियों और वहां किस तरह से बच्चों को भर्ती किया जाता है और उनका उपचार किया जाता है। उन्होंने बताया कि जनपद में पोषण पुनर्वास केन्द्र में 10 बिस्तरों की व्यवस्था है। पोषण पुनर्वास केन्द्र की डायटीशियन इरमनाज ने बच्चों के डाइट प्लान की जानकारी दी। उन्होंने बच्चों को दी जाने वाली चाय और बिस्कुट को सेहत के लिए हानिकारक बताया।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक खालिद हुसैन ने बताया कि आरएमएनसीएच को लेकर बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने पहल की थी। इसी दिशा में सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि दो तिहाई आबादी का स्वास्थ्य इन्हीं कार्यक्रमों से कवर होता है। उन्होंने कहा कि कोई बीमारी न हो और हो भी जाए तो उसका उपचार तुरंत उपलब्ध हो, यही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का उद्देश्य है। इस दौरान स्वास्थ्य कार्यक्रमों को लेकर मीडिया प्रतिनिधियों ने कई सवाल किये, जिसके जवाब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दिए |