एसपी सिंह पटेल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
प्रकृति ने सभी मनुष्यों की बनावट एक जैसी बनाई है। जेंडर को छोड़कर के सभी आंतरिक और बाहरी अंग भी लगभग एक जैसे हैं, उनकी कार्यप्रणाली भी एक जैसी है और उनके परिणाम देने के तरीके भी एक जैसे हैं। धूप, पानी, हवा, मौसम, खाना-पीना भी लगभग एक जैसा है। इतनी सब समानताएं होने के बावजूद भी अलग-अलग लोगों के अलग अलग परिणाम क्यों हैं?
क्या आप जानते हैं कि हमारे शरीर के सभी अंग हमारे मस्तिष्क में समाहित विचारों से संचालित (गवर्न) होते हैं? अधिकांश लोगों को यह समझना बहुत ही मुश्किल है कि हमारे मस्तिष्क में किस प्रकार के विचार समाहित हैं। इस प्रकार हमारे मस्तिष्क में यदि निगेटिव अर्थात निम्न स्तर के विचार भी समाहित हैं, तब भी हम उनको नहीं पहचान कर सकते। जब हम पहचान नहीं कर पाते तो हम अपने आप को समझते हैं कि हम दुनिया के सबसे अच्छे सोचने वाले हैं, सिर्फ भाग्य और समय ही भविष्य को बनाता है।
यदि आप मस्तिष्क की फीडिंग प्रोसेस को समझ लें, मस्तिष्क के नेचर को समझ लें, मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को समझ लें। मस्तिष्क एवं आपके अंगों में कितनी पोटेंशियल यानी क्षमताएं हैं, उनकी सीमाएं हैं। अगर यह भी समझ लें तो किसी भी प्रकार के खेल में आप उच्च क्षमता को दर्शा सकते हैं, रिकॉर्ड बना सकते हैं।
यह संभव है कि मस्तिष्क में समाहित पुराने विचारों को बाहर निकालना होगा अर्थात निष्प्रभावी करना होगा और प्रकृति द्वारा देय क्षमता पर आधारित विचारों को फीड़ करना होगा। यह आपके लिए नई तकनीक होने की वजह से असंभव लग रहा होगा, परंतु मेरे अनुभवों एवं प्रयोगों से यह संभव है। इसे विस्तार से समझने के लिए आपको मेरे पूरे दिन के साइक्लोजिकल ट्रेनिंग प्रोग्राम से निकलना ही होगा।
साइक्लोजिस्ट बदायूं उत्तर प्रदेश