विनय सिंह “विनम्र”, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
हर उड़ान कहीं पे यहीं रुकेगा..!!
आसमां भी देख लो
आ जमीन पर झुकेगा।
यकीं करो हर दर्द की दवा है यहाँ
पर दर्द का हर जख्म
शरीर पे कहीं छपेगा।
गुनाह है यहाँ..
किसी उम्मीद के आसरे जीना..!!
पर उमीद का मजमूंन
हमसे हीं कहीं रचेगा।
ये जीवन किसी का खेल हो शायद विनम्र”
पर खेल में वो हिस्सा साथ हीं रहेगा।।
मझवार, चन्दौली