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Shiksha Vahini
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भूख और आभूषण

shikshavahini by shikshavahini
October 25, 2020
in उत्तराखण्ड़, दिल्ली, पंजाब, बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, लाइफ स्टाईल, लेख, सामाजिक, हरियाणा
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भूख और आभूषण

कुंवर आरपी सिंह, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

विश्व विजय के अभियान पर निकला सिकंदर जब तुर्किस्तान पहुंचा तो मंत्री और सेनापति ने तुर्किस्तान के शासक को इसकी सूचना दी। शाह ने कहा-कोई बात नहीं, सिकंदर को आने दो। सिकंदर जब राज्य की सीमा में पहुंचा तो तुर्किस्तान के राजा ने उसका राजधानी  में उसका गर्मजोशी से स्वागत किया और अपने महल में आमंत्रित किया।  सिकंदर और शाह, शाही महल में एक साथ भोजन पर बैठे। सिकंदर शाह के आतिथ्य से अभिभूत था। सामने रखे ताल में भोजन के स्थान पर बहुमूल्य हीरे जवाहरात रखें  देख उसकी कुछ समझ में नहीं आया तो इसका आशय जानने के लिए उसने शाह की ओर देखा, जैसे पूछ रहा हो कि यह क्या मजाक है ? शाह ने मुस्कुरा कर कहा-सिकंदर महान! मैंने आपकी रुचि को ध्यान में रखकर ही ये व्यवस्था की है।  मुझे पता है कि विशाल हीरे जवाहरात की संपदा हासिल करने के लिए ही आपने यह अभियान शुरू किया है। जीते गए देशों की सारी संपदा को अपने कब्जे में कर आप आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन आपकी धन की भूख अभी मिटी नहीं है, इसलिए खाद्य सामग्री के स्थान पर मैंने बहुमूल्य हीरे जवाहरातों से भरा थाल आपको पेश किया है।  सिकंदर को फौरन ही कुछ जवाब देते नहीं बना। ऐसा बर्ताव आज तक किसी ने उसके साथ नहीं किया था। उसको अत्यधिक विचार की मुद्रा में देखकर शाह ने एक बार फिर उसकी ओर देखा। सिकंदर ने बहुत ही गंभीरता से कहां-यह आपने एक बहुत बड़ी नसीहत दी है कि पेट तो यकीनन खाने से ही भरता है, हीरे जवाहरात से नहीं। तभी तत्काल उसके सामने तरह-तरह के पकवान सजा दिए गए, जो सिकंदर को किसे हीरे जवाहरात से ज्यादा अच्छे और जरूरी लगे। इंसान आभूषणों के बगैर तो जीवित रह सकता है , पर वह भोजन के बगैर जीवित नहीं रह सकता। यही सत्य है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष जय शिवा पटेल संघ

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